महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के अन्तर्गत ज्योतिर्विज्ञान, वास्तुशास्त्र एवं पौरोहित्य में एक वर्षीय पत्रोपाधि (डिप्लोमा) पाठ्यक्रम प्रांरभ जानकारी

म.प्र.शासन, स्कूल शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान म.प्र.भोपाल प्रदेश में संस्कृत तथा उसके साहित्य के अध्यापन क्षेत्र में अनुसंधान तथा व्यापक अध्ययन को अग्रसर करने के प्रयोजन के साथ सतत् शिक्षा, पत्राचार और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से संस्कृत से संबंधित रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की दिशा में कार्य कर रहा है। उपरोक्त के साथ संस्कृत के ज्ञान की सम्बद्ध शाखाओं में अध्यापन, प्रशिक्षण और गवेशणा के क्षेत्र में उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में विकसित करना संस्थान के मुख्य उद्देश्यों में से एक है।

2. - विधि और विधायी कार्य विभाग द्वारा जारी म.प्र. राजपत्र (असाधारण) दिनांक 11 मई 2007 के द्वारा जारी महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान अधिनियम 2007 की कण्डिका 5 के अन्तर्गत इस अधिनियम के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुये संस्थान को निम्नानुसार शक्तियों का प्रयोग तथा निम्नलिखित कृत्यों के निर्वहन का अधिकार है :-

(क)

विद्या की ऐसी शाखाओं में, जैसी कि संस्थान ठीक समझे तथा संस्कृत और उसके साहित्य तथा ज्ञान की सहबद्ध शाखाओं से सम्बन्धित अध्ययन पाठ्यक्रमों में, जिनमें पत्राचार पाठ्यक्रम भी सम्मिलित हैं, अध्यापन तथा शिक्षण का उपबंध करना ।

(ख)

संस्कृत में शोध हेतु उपबंध करना, विशेष पाठ्यक्रम संचालित करना और संस्कृत और उसके साहित्य एवं सहबद्ध शाखाओं के ज्ञान को आगे बढ़ाना और उसका प्रसार करना।

(ङ)

संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न परीक्षाओं के लिए शिक्षण पाठ्यक्रम अधिकथित करना।

(च)

प्रमाणपत्र तथा विद्या सम्बधी अन्य विशिष्टिताएं और पदवी प्रदान करना।

उपरोक्त अधिकार के परीपेक्ष्य में कंडिका 1 में दिये गये उद्देश्यों की पूर्ति हेतु महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की विद्या परिषद् की बैठक दिनांक 22.02.2017 की कण्डिका 5 में ज्योतिर्विज्ञान तथा वास्तुशास्त्र में एक वर्षीय पत्रोपाधि पाठ्यक्रम तथा कण्डिका 7 में पौरोहित्य में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम का अनुमोदन किया जाकर इन्हें महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, भोपाल के माध्यम से भोपाल मुख्यालय पर संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। डिप्लोमा पाठ्यक्रम विवरण निम्नानुसार है :-

(क)

पाठ्यक्रम का नाम

प्रकार

अवधि

अधिकतम विद्यार्थी संख्या

1.

ज्योतिर्विज्ञान (ज्योतिष)

पत्रोपाधि (डिप्लोमा)

1 वर्ष

30

2.

व्यावहारिक वास्तुशास्त्र

पत्रोपाधि (डिप्लोमा)

1 वर्ष

30

3.

पौरोहित्य (कर्मकाण्ड)

पत्रोपाधि (डिप्लोमा)

1 वर्ष

30
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